JSSC: हाईकोर्ट के द्वारा एक बड़ा फैसला लिया गया जिसके वजह से झारखंड के शिक्षकों की भर्ती को लेकर बहुत बड़ी खुशखबरी सामने नजर आ रही है जी हां बताया जा रहा है लगभग 26001 शिक्षकों पर जो रोक लगी हुई थी उसको हटा दिया गया है। बता दें कि झारखंड में 26,001शिक्षकों की भर्ती करेगी इसके अलावा प्रार्थियों के लिए 100 सीट रिक्त का निर्देश भी दिया गया है। हाई कोर्ट का यह फैसला गुरुवार यानी 5 सितंबर को जस्टिस संजय कुमार मिश्रा और जस्टिस आनंद सेन के द्वारा किया गया है।
अभी तक आपको पता चल ही गया है कि हाई कोर्ट के द्वारा इसको हटा दिया गया है लेकिन रांची हाई कोर्ट के द्वारा क्या फैसला लिया गया है इसके लिए इस आर्टिकल को आपको पूरी तरह से पढ़ना होगा। जैसे कि रांची के हाईकोर्ट द्वारा 26000 सहायक शिक्षकों की नियुक्ति लगाई रोक को हटाया बल्कि 26000 शिक्षकों का रास्ता साफ कर दिया है।
पूरा मामला क्या है
बता दें कि हाई कोर्ट के द्वारा आदेश दिया गया था कि झारखण्ड कर्मचारी चयन आयोग यानी JSSC को सिर्फ 100 सीट खाली का निर्देश भी दिया गया है। और तो ओर बहादुर महतो के द्वारा Jharkhand सरकार को चुनौती देते हुए यह याचिका दायर किया। जिसमें सिर्फ पारा शिक्षकों को आरक्षण को फायदा मिल रहा था। बहादुर महतो ने ये भी कहा कि सरकार ने सहायक शिक्षकों की नियुक्ति में पारा शिक्षकों को 50 फीसदी का आरक्षण दिया है।
लेकिन वहीं पर शिक्षा विभाग में कार्यरत ‘ब्लॉक रिसोर्स पर्सन’ और ‘क्लस्टर रिसोर्स पर्सन’ को आरक्षण का कोई लाभ नहीं दिया गया है और नही ही उनके बारे में सोचा गया है। जिसके वजह से उनके साथ बहुत बड़ा पक्षपात किया गया झारखंड सरकार के द्वारा और देखा जाए उन्होंने दलील दी कि आयोग की ओर से 2023 में बनाई गई सहायक शिक्षक नियुक्ति नियमावली से अनुबंध पर नियुक्त शिक्षा विभाग के कर्मियों को वंचित कर दिया जाएगा।
रास्ता साफ 26 हजार शिक्षकों का
झारखण्ड सरकार द्वारा 26 हजार सहायक शिक्षकों की नियुक्ति की योजना बनाई थी। जिसमे कुल 12,888 सहायक शिक्षकों की नियुक्ति पारा शिक्षकों के लिए और 13,133 सहायक शिक्षकों के पद गैर पारा शिक्षक के लिए किया जाएंगा। दिखे तो कक्षा एक से लेकर पाचवीं और कक्षा छह से 8वीं तक के लिए सहायक शिक्षकों की नियुक्ति होनी है।
बता दें कि झारखंड में 26,001शिक्षकों की भर्ती करेगी इसके अलावा प्रार्थियों के लिए 100 सीट रिक्त का निर्देश भी दिया गया है। हाई कोर्ट का यह फैसला गुरुवार यानी 5 सितंबर को जस्टिस संजय कुमार मिश्रा और जस्टिस आनंद सेन के द्वारा किया गया है।