झारखंड के युवाओं के लिए खुशखबरी है जी हां मैं बता दूं यदि झारखंड के युवा आईएएस या आईपीएस की तैयारी कर रहे हैं तो उनके लिए खुशखबरी आ चुकी है जी हां यहां पर बताया जा रहा है कि 3 महीने का ऑनलाइन कोर्स जहां पर झारखंड की जनजाति भाषाओं को डाला गया है। झारखंड में कार्यरत आईएएस और आईपीएस अधिकारी अब जनजातीय भाषाएं सीखेंगे। यह ऑनलाइन कोर्स तीन महीने की होगी। वे कुड़ुख, मुंडारी, खड़िया, हो, संथाली और भूमिज भाषा के साथ जनजातीय समाज की संस्कृति और इतिहास भी जानेंगे।
राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों के साथ उन सभी अधिकारियों के लिए भी यह अनिवार्य होगा, जिनसे काम के सिलसिले में आम लोग रोज मिलते हैं। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के निर्देश के बाद कल्याण विभाग द्वारा यह योजना बनाई गई है। बता दें कि यह टीआरआई और विभागीय अधिकारियों का मानना है कि तीन महीने का कोर्स अनिवार्य होगा। इसको लेकर अधिकारियों की दो दौर की बैठक हो चुकी है। जहा पर रांची विश्वविद्यालय के जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग में इस विषय पर जल्दी ही कार्यशाला करेगी, जिसमें पाठ्यक्रम को अंतिम रूप दिया जाएगा। बताया जा रहा है कि राज्य स्थापना दिवस पर 15 नवंबर को यह पाठ्यक्रम लॉन्च होगा ।
ऑनलाइन होगी परीक्षा… पास होने पर मिलेगा सर्टिफिकेट ऑनलाइन पढ़ाई के बाद इसकी परीक्षा भी ऑनलाइन होगी। पास होने पर कल्याण विभाग इन अधिकारियों को सर्टिफिकेट देगा। फेल होने पर आपकों दोबारा परीक्षा देने होगा। जनजातीय भाषाएं सीखने के बाद अधिकारी आम लोगों से उनकी ही भाषा में बात कर सकेंगे।
6 जनजातीय भाषाएं सीखनी होंगी, शुरुआत संथाली से
अधिकारियों को 6 जनजातीय भाषाएं सीखनी होंगी। शुरुआत संथाली भाषा से होगी, क्योंकि राज्य में जनजातीय भाषा के रूप में संथाली कई जिलों में बोली जाती है।
सिविल सर्विस डे पर 21 अप्रैल को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने वहां मौजूद आईएएस और आईपीएस अफसरों से पूछा था कि कितने लोग संथाली, कुड़ुख, हो और मुंडारी आदि जनजातीय भाषा जानते और समझते हैं। तब सीएम ने कहा था कि सभी अधिकारियों के लिए यह जरूरी है कि आम लोगों से बात करने के लिए वे राज्य की भाषाएं सीखें।